या वो थे ख़फ़ा हम से, या हम हैं ख़फ़ा उन से; कल उन का ज़माना था, आज अपना ज़माना है! |
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं; वही दुनिया बदलते जा रहे हैं! |
ज़िंदगी एक हादसा है और कैसा हादसा; मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं! |
एक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है; सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है! |
तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहीं; हाँ मुझ ही को ख़राब होना था! |
आँखों में नमी सी है चुप चुप से वो बैठे हैं; नाज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फ़साना है! |
हमीं जब न होंगे तो क्या रंग-ए-महफ़िल; किसे देख कर आप शरमाइएगा! |
बहुत हसीन सही सोहबतें गुलों की मगर; वो ज़िंदगी है जो काँटों के दरमियाँ गुज़रे! |
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है; हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है! |
गुनाहगार के दिल से न बच के चल ज़ाहिद; यहीं कहीं तिरी जन्नत भी पाई जाती है! ज़ाहिद = धार्मिक व्यक्ति |