बहुत कुछ ऐसा था जो जीवन की भाग-दौड़ में छोड़ दिया; फिर मालूम हुआ कि जो छोड़ा था, वो ही जीवन था। सुप्रभात! |
कितना भी ज्ञानियों के पास बैठ लो तजुर्बा बेवक़ूफ़ होने के बाद ही मिलता है! सुप्रभात! |
यदि मेहनत आदत बन जाये तो कामयाबी "मुकद्दर" बन जाती है! सुप्रभात! |
इंसान ख़ुद की नज़र में साफ़ होना चाहिए बाक़ी दुनिया तो भगवान से भी दुखी है! सुप्रभात! |
मोह में हम बुराइयाँ नहीं देख पाते और घृणा में हम अच्छाइयाँ नहीं देख पाते! सुप्रभात! |
शब्दों का और सोच का ही अहम किरदार होता है! कभी हम समझ नहीं पाते हैं और कभी समझा नहीं पाते हैं! सुप्रभात! |
हे प्रभु ना मैंने तुझे देखा, ना कभी हम मिले, फिर ऐसा क्या रिश्ता है, दर्द कोई भी हो, याद तेरी ही आती है! सुप्रभात! |
जलेबी सिर्फ मीठी ही नहीं होती एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है कि खुद कितने भी उलझे रहो पर दूसरों को हमेशा मिठास दो। सुप्रभात! |
कोई सराहना करे या निंदा, लाभ तुम्हारा ही है! क्योंकि प्रशंसा प्रेरणा देती है और निंदा सुधरने का अवसर! सुप्रभात! |
ध्यान कर अर्थ आँखें बंद करना नहीं बल्कि खोलना है! बंद तो पहले से ही हैं! सुप्रभात! |