कुछ भी कहो राक्षस जाती हँसमुख बहुत थी! हर बात बोलने के बाद हँसते ज़रूर थे! ऐसे ही मेरे दोस्त करते हैं! राक्षस ही हैं वो भी! |
जो पूरे बदन को महका दे उसे इत्र कहते हैं! और जो इज़्ज़त की धज्जियाँ उदा दे उसे मित्र कहते हैं! |
कमज़ोरियाँ मत खोज मुझ में ऐ दोस्त, मेरी कमज़ोरियों में एक तू भी शामिल है! |
रिश्तों की दुनिया में फूफा जी और जीजा जी का अविष्कार बारात में तबाही मचाने के लिए हुआ है! |
ज़िन्दगी में इतना भी मशरूफ न होइए कि कोई इंतज़ार छोड़ दे आपकी फुर्सत का! |
महंगे जूते खरीदना बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात तो दोस्तों को समझना है कि ये महंगे हैं! |
घर से भागने के दो महीने बाद एक सच्चा प्रेमी ऑटो चलाता है! एक सच्ची प्रेमिका ब्यूटी पार्लर का कोर्स करती है! |
आओ जिंदगी में थोड़ा अकेलापन आजमाते हैं; पैसे ख़त्म हो गए रिश्तेदारों में ये खबर फैलाते हैं! |
ठंड तो ऐसे गायब हुई जैसे... . . . . ज़रूरत पड़ने पर रिश्तेदार! |
पहले लोग भावुक हुआ करते थे, रिश्ते निभाते थे! फिर प्रैक्टिकल हुए, रिश्तों से फायदा उठाते थे! और अब प्रोफेशनल है, फायदा उठया जाये, ऐसे रिश्ते बनाते हैं! |