मुझसे ये जुदाई का गम पिया नहीं जाता; कोई दो गिलास व्हिस्की के ही पिला दो बर्फ डाल के! |
प्यार हुआ इकरार हुआ है; प्यार से फिर क्यों डरता है दिल; क्यों न डरे दिल? . .. ... क्योंकि आजकल के प्यार से बढ़ता है, सिर्फ मोबाइल और रेस्टौरेंट का बिल! |
उधर आप मजबूर बैठे हैं; इधर हम खामोश बैठे है; बात हो तो कैसे हो; जब दोनों तरफ दो कंजूस बैठे हैं! |
जब बारिश होती है, तुम याद आते हो! जब काली घटा छाए, तुम याद आते हो! जब भीगते हैं हम, तो तुम याद आते हो! बताओ, तुम मेरी छतरी कब वापिस करोगे! |
फूल बिना, खुशबू बेकार; चाँद बिना, चांदनी बेकार; प्यार बिना, ज़िन्दगी बेकार; मेरे एस एम् एस बिना, तुम्हारा मोबाइल बेकार! |
कितना बेबस है इंसान, किस्मत के आगे! हर सपना टूट जाता है हकीकत के आगे! जिसने कभी हाथ न फेलाया हो, वो भी हाथ फेलता है `गोलगप्पे वाले` के आगे! |
एक आप हो कितने अच्छे हो! एक आप हो कि कितने सुंदर हो! एक आप हो कि कितने सच्चे हो! और एक हम है कि झूठ पर झूठ बोले जा रहे है! |
शाम होते ही ये दिल उदास होता है! टूटे ख्वाबों के सिवा कुछ न पास होता है! तुम्हरी याद ऐसे वक़्त बहुत आती है! जब कोई बन्दर आस-पास होता है! |
शादी करनी थी पर किस्मत खुली नहीं! ताज बनाना था पर मुमताज मिली नहीं! एक दिन किस्मत खुली और शादी हो गई! अब ताज बनाना है पर यह मुमताज मरती ही नहीं! |