पतझड़ हुए बिना पेड़ पर नए पत्ते नहीं आते, ठीक उसी तरह "परेशानी" और "कठिनाई" सहे बिना इंसान के अच्छे दिन नहीं आते। सुप्रभात! |
आमदनी पर्याप्त ना हो तो खर्चों पर नियंत्रण रखें; जानकारी पर्याप्त ना हो तो शब्दों पर नियंत्रण रखें! सुप्रभात! |
ज़िंदगी का सारा खेल तो "वक़्त" रचता है! इंसान तो सिर्फ़ अपना "किरदार" निभाता है! सुप्रभात! |
साहसी लोग अपने फैंसले से दुनिया बदल देते हैं और कायर दुनिया के डर से अपने फैंसले! सुप्रभात! |
अगर ये तय है कि जो दिया है, वो लौट के आएगा तो... क्यों न सिर्फ खुशियां और दुआएं ही दी जाएं। सुप्रभात! |
दो चम्मच हंसी चुटकी भर मुस्कान, बस यही खुराक खुशी की पहचान। सुप्रभात! |
इंसान का पतन उस समय शुरू हो जाता है, जब वो अपनो को नीचा दिखाने के लिए दूसरों की बात मान लेता है। सुप्रभात! |
वक़्त तो सिर्फ वक़्त पे बदलता है, बस इंसान ही है जो किसी भी वक़्त बदल जाता है! सुप्रभात! |
समस्या आने पर न्याय नहीं समाधान होना चाहिये। क्योंकि न्याय में एक के घर दीप जलते हैं, तो दूसरे के घर अँधेरा होता है। मगर समाधान में दोनों के घर दीप जलते हैं। सुप्रभात! |
अगर कोई आपकी उम्मीद से जीता है तो आप भी उसके यकीन पर खरा उतरिये, क्योंकि उम्मीद इंसान उसी से रखता है जिसको वो अपने सबसे करीब मानता है। सुप्रभात! |